१६- जन एकता की भाषा हिंदी- रचना १६

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उसके गम के बिना तो ये शराब भी पानी हो जाए बस छूने से उन जुल्फों को नई हमारी ज़वानी हो जाए आशिकी उतनी ही करो जितनी तुम भुला पाओ इसे ...

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